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अनुभूति में हरिहर झा की रचनाएँ—

गीतों में-
न इतना शरमाओ
पतझड़

प्रिये तुम्हारी याद

अंजुमन में-
चुप हू

छंदमुक्त में-
न जाने क्यों
रावण और राम

संकलन में—
ज्योतिपर्व– अंतर्ज्योति
शुभ दीपावली- धरा पर गगन
ममतामयी- माँ की याद
शरद महोत्सव हाइकु में- बर्फ के लड्डू
नया साल- साल मुबारक
वर्षा मंगल- रिमझिम यह बरसात

 

प्रिये तुम्हारी याद

प्रेम पाशमय जीवन सुना कर जाने के बाद
महक उठी नन्हीं बगिया में
प्रिये! तुम्हारी याद

झिलमिल स्मृति
चित्र उभरते और सताते मुझको
अकुलाए से पंथ प्यार की राह जताते मुझको
झूम रहे वे नयन चकोरे मुस्काते फूलों में
झुला रहे मदभरे प्यार से
हिलमिल के झूलों में
स्वर मधुर सब तेरे लगते सुन विहंग के नाद
हक उठी नन्हीं बगिया में
प्रिये! तुम्हारी याद

व्यथित नयन
बस जगे जगे से एक झलक की आस
रूप गंध कुछ स्पर्श नहीं इस तनहाई के पास
स्वप्नों में जी भर देखा पर बुझी न उर की प्यास
दिवास्वप्न बन बन कर मेरी
पीड़ा बनी उदास
सहा न जाता एकाकी पल घिर आया अवसाद
महक उठी नन्हीं बगिया में
प्रिये! तुम्हारी याद


१ जून २००५

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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