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अनुभूति में राहुल उपाध्याय की रचनाएँ —

छंद मुक्त में-
मरते दम तक
मौसम
मिलन
कहर
पहला प्यार
किनारे किनारे

 

 

किनारे किनारे

हम दोनों
के बीच
प्यार था
प्यार
बेशुमार था
बेशुमार इतना
जितना
दो 'बीच' के बीच
लहलहाता समंदर

मैं था उस किनारे
तुम थी इस किनारे
प्यार ने खींचा हमें
एक दूसरे की ओर

तुम थोड़ी बदली
मैं थोड़ा बदला
मैं चला तुम्हारी तरफ़
और तुम मेरी ओर

मंज़ूर नहीं था हमें
मझधार में मिलना
मैं चलता रहा
तुम चलती रहीं
अब मैं हूँ इस किनारे
और तुम उस किनारे
हम दोनों के बीच
अब भी
प्यार बहुत हैं

१६ फरवरी २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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