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अनुभूति में राहुल उपाध्याय की रचनाएँ —

छंद मुक्त में-
मरते दम तक
मौसम
मिलन
कहर
पहला प्यार
किनारे किनारे

 

मिलन

मैं छुपता रहा
तुम खिलती रही
ये कैसा खेल?

हाथों में मेरे
तुम समाती रही
ये कैसा जादू?

हुआ कि नहीं?
सच था कि सपना?
ये कैसे प्रश्न?

एक नज़र
वो आईना तो देखो
ये कैसा चिन्ह?

१६ फरवरी २००९

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