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अनुभूति में ऋचा जैन की रचनाएँ —

बाल कविताओं में-
आओ गिने
आओ जी जाओ जी
पक्षी बोले
बंदर
सूरज चाँद तारे और जुगनू

 

बंदर

पेड़ पर रहता है एक बंदर,
नटखट और शैतान
वह सबकी नकल उतारे
सुबह हो या शाम

मैं जागूँ तो वह जग जाए
मैं सोऊँ तो वह सो जाए
मैं खाऊँ तो वह भी खाए
अपनी अकल ना लगाए

मैं नाचूँ तो वह भी नाचे
मैं गाऊँ तो वह भी गाए
मैं कूदूँ तो वह भी कूदे
डाल से ही गिर जाए

१ जून २०२२

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