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अनुभूति में डॉ. क्षिप्रा शिल्पी की रचनाएँ-

गीतों में-
माँ का आँचल भूल गये
कृष्ण फिर एक बार आओ
हमें तो गर्व है जन्मे है आर्य भूमि में

छंदमुक्त में-
माँ आपके लिये

अंजुमन में-
अभिलाषा खुशियों की

  माँ आपके लिये

जानती हूँ तब से माँ,
जब नहीं जन्मी थी मै
कल्पना हूँ आपकी,
प्यार से पनपी हूँ मै

नर्म सा स्पर्श आपका
बन गया है दिल मेरा
छाया हूँ मै आपकी
साया मेरा आप घना

थी कठिन राहें बहुत पर
साथ हर पल थी मेरे
डगमगाए जब कदम
हाथ थामा आपने
जिंदगी की मुश्किलों में
धैर्य और साहस है आप

सीखा ताना प्यार का
मैने बुनना आपसे
प्यार में है त्याग भी
पाना ही है सब कुछ नही
प्यार का हर एक शब्द
मैने सीखा आपसे

बरसे खुशियाँ आप पर
भीगे मेरा मन सदा
आँचलों मे छुप के मैं
फिर करू अठखेलियाँ
घुल गयी साँसों मे यों
मेरी धड़कन की तरह

जो दिया है आपने
क्या मैं दे सकती भला
प्यार से है गुथी ज़िन्दगी
प्यार ही बाँटा सदा
प्यार से बनी मेरी माँ
प्यार ही देती सदा

१ अगस्त २०२२

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