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अनुभूति में डॉ. क्षिप्रा शिल्पी की रचनाएँ-

गीतों में-
माँ का आँचल भूल गये
कृष्ण फिर एक बार आओ
हमें तो गर्व है जन्मे है आर्य भूमि में

छंदमुक्त में-
माँ आपके लिये

अंजुमन में-
अभिलाषा खुशियों की

  हमें तो गर्व है जन्मे है आर्य भूमि मे

हमे तो गर्व है, जन्मे है आर्य भूमि में
देवों की भूमि में, वेदों की धूनी में

हम अपने देश से कुछ ऐसे प्यार करते हैं
विदेशी रंग में तिरंगा रंग भरते हैं
हमारी भाषा पे संस्कृति पे गर्व है हमको
हमेशा देश की ख़ातिर ही
जीते--मरते हैं

प्रेम है हिंदी से हिंदी ही अपनी भाषा है
हरेक भारतीय मन की यही आशा है
कि पूरे विश्व में परचम इसी का लहराए
हमारे दिल की यही एक
अभिलाषा है

कबीर सूर की तुलसी की प्राण हिंदी है.
प्रसाद पंत निराला की जान हिंदी है.
हरेक देश भक्त भारतीय कहता है -
हमारी आन-बान
शान-मान हिंदी है

हमारी बोली हिन्दी वेश हिन्दुतानी है
धड़कते दिल में देश प्रेम की रवानी है
किसी भी देश में दुनिया में जाके बस जायें
मगर हमारे दिल की हिन्द
राजधानी है

१ अगस्त २०२२

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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