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डॉ. क्षिप्रा शिल्पी

जन्म- १४ दिसंबर १९७४ को बहराइच (यू पी) भारत में।
शिक्षा- बी.ए. एल.एल.बी., एम.ए., हिन्दी साहित्य के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विषय मे पी.एच. डी की उपाधि। अनेक विषयों में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा जैसे- फॉरेन अफेयर्स, डेस्क टॉप पब्लिशिंग, थिएटर साइंस एंड मीडिया राइटिंग तथा फ्रेंच एवं पंजाबी भाषा। बेनेडिक्ट स्कूल ऑफ लैंग्वेजेस से जर्मन भाषा एवं साहित्य में डिप्लोमा, कोलोन, जर्मनी से।

कार्यक्षेत्र -
फैज़ाबाद विश्वविद्यालय से सम्बद्ध एम.आर.पी.पी.जी. कालेज, बाराबंकी, उत्तर प्रदेश मे हिन्दी विभागाध्यक्ष के रूप मे कार्य, लखनऊ दूरदर्शन में नए हस्ताक्षर, प्रश्नोत्तरी, लोकसंस्कृति कार्यक्रमों का संचालन एवं संयोजन के साथ-साथ पटकथा लेखन, डबिंग, वॉइस ओवर, संपादन, टी वी रिपोर्ट लेखन, लाइव टी वी रिपोर्टिंग, रिपोतार्ज, विज्ञापन कुकीज लेखन, साक्षात्कार एवं अनेकानेक रंगारंग कार्यक्रमों में निरंतर प्रतिभागिता।

प्रकाशित कृतियाँ-
सर्वाधिक चर्चित डॉक्यूमेंट्री: कारगिल के शहीद, लखनऊ की चिकनकारी, स्वास्थ्य मेला: स्वस्थ रहें, सचेत रहें और लखनऊ महोत्सव: एक सांस्कृतिक साहित्यिक अनूठा कदम। इसके अतिरिक्त आकाशवाणी लखनऊ से कविताओं एवं लघुकथाओं का पाठ और राष्ट्रीय फीचर्स नेटवर्क के माध्यम से देश एवं विदेश के अनेक समाचार पत्रों में कविता, लेख, कहानी, लघुकथा, चित्रांकन, संस्मरण, रिपोतार्ज, व्यंग्य, बालकथा आदि का लेखन एवं प्रकाशन।
संपादन- मोगरे के फूल कविता संग्रह का सम्पादन

संप्रति- कोलोन जर्मनी में रहते हुए यूएसए, जर्मनी और कैनेडा के संयुक्त उद्यम 'सृजनी ग्लोबल' चैनल एवं सोशल मीडिया प्लेटफार्म की स्थापना। साहित्य समाचार न्यूज पोर्टल: संपादक (यूरोप)

  अनुभूति में डॉ. क्षिप्रा शिल्पी की रचनाएँ-

गीतों में-
माँ का आँचल भूल गये
कृष्ण फिर एक बार आओ
हमें तो गर्व है जन्मे है आर्य भूमि में

छंदमुक्त में-
माँ आपके लिये

अंजुमन में-
अभिलाषा खुशियों की

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