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अनुभूति में सुरेन्द्रनाथ मेहरोत्रा
की रचनाएँ —


तुकांत में-
आज के अर्जुन का आत्मबोध
आज कैसे गीत गाऊँ
नीति पथ
बाद मरने के
वरदान यह दो
शंकर का वरद पुत्

साहिल पे सफीना

मुक्तकों में-
तीन मुक्तक

संकलन में-

ज्योति पर्व में–नमन दीप को सौ सौ बार
दिये जलाओ–रात रात भर

 

आज कैसे गीत गाऊँ

कर रहा क्रन्दन हृदय है
आज कैसे गीत गाऊँ
देख कर भी पतन जग का
आज कैसे गीत गाऊँ।।

हँस रहे यद्यपि यहाँ कुछ
पर रुदन का ही है मेला
रह रहे है कुछ है महल में
पर उटज में जगत खेला।।

जा रहे कुछ है गगन मग
कुछ उदर हित भार झेला
कर रहे कुछ है जुगाली
पुण्यचय को प्राप्त करके
पर नहीं है भाग्य मे
खाना किन्हीं को एक बेला।।

छोड़ कर अपवाद यह सब
हे सखे अब गीत गाऊँ
क्षुधा पीड़ित मनुज सम्मुख
आज कैसे गीत गाऊँ।।

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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