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रिश्तों में है रिक्तता
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नेता नरेश (हाइकु)


नेता नरेश,
प्रजा भोली जनता,
अजूबा देश।


हाँकता राजा
पैदल-हाथी-घोड़े,
मारता कोड़े।


बाप तो शाह,
बेटे शहजादे हैं;
बाक़ी प्यादे हैं।


भरी संसद,
पर नेता एक न
आदमक़द।


मन्दिर बने,
चाहे मस्जिद फूटे,
देश न टूटे।


है विष पीना,
बहुत कठिन है
जीवन जीना।


कैसा नसीब!
चढ़ता है सच ही
सदा सलीब।


दु:ख पाहुना,
कुछ लेकर आया,
देकर गया।


जितना तपा,
आदमी हो या सोना,
उतना दिपा।

१०
मूर्ति को वस्त्रा,
किन्तु होती नारियाँ
नित्य निर्वस्त्रा।

११
छोड़े न हाथ,
भूख पतिव्रता-सी

निभाती साथ।

१२
दुनियादारी;
पिता तो धृतराष्ट्र,
माता गांधारी।

१३
घर में घर,
आदमी में आदमी,
फिर भी डर।

१४
बना देता है
पत्थर को भी देव,
प्रेम का स्पर्श।

१५ जून २००९


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