अनुभूति में डॉ. आनन्द
के दोहे-
नये दोहे-
बदल गया अब आदमी
दोहों में-
फैलाएँ
सद्भाव
हुए सुवासित
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हुए सुवासित
हुए सुवासित आजकल, मन-मंदिर के द्वार।
यादों में पलने लगा, हर पल तेरा प्यार।।
हुआ अकेला जब कभी, आई तेरी याद।
कौन सुने, किससे कहें, कहाँ करें फरियाद।।
बंधन सारे तोड़ कर, आ जाओ मनमीत।
आज चाँदनी रात में, मिलकर गाएँ गीत।।
इंतज़ार करता रहा, प्रिय मैं सालों-साल।
भुला दिया तुमने मुझे, पूछा कभी न हाल।।
सपनों में आती नहीं, प्रिय तेरी तस्वीर।
आँखें तूने फेर ली, बिगड़ गई तकदीर।।
संजो कर हम रखेंगे, तेरी मीठी याद।
नहीं भुलना तुम हमें, बस इतनी फरियाद।।
खुशियों का संसार हो, सपने हों साकार।
वनफूलों की गंध से, महके घर-संसार।।
१६ फरवरी २००९ |