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अनुभूति में बलबीर सिंह 'रंग' की रचनाएँ-

गीतों में
अभी निकटता बहुत दूर है
आया नहीं हूँ
जीवन में अरमानों का
तुम्हारे गीत गाना चाहता हूँ
पीछे जा रहा हूँ मैं
पूजा के गीत
बन गई आज कविता मेरी
मेरे जीवन के पतझड़ में

 

  अभी निकटता बहुत दूर है

अभी निकटता बहुत दूर है,
अभी सफलता बहुत दूर है,
निर्ममता से नहीं, मुझे तो ममता से भय है।
अभी तो केवल परिचय है।

माना जीवन स्नेह चाहता,
स्नेह नहीं संदेह चाहता,
किसी और पर नहीं, मुझे अपने पर संशय है।
अभी तो केवल परिचय है।

कवि के गीत रिझाते जग को,
कवि के गीत रुलाते जग को,
इसमें कवि का क्या है, यह तो कविता की जय है।
अभी तो केवल परिचय है।

२४ अप्रैल २००६

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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