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 डॉ. जगदीश गुप्त

आधुनिक हिन्दी कविता में डाक्टर जगदीश गुप्त का महत्त्वपूर्ण स्थान है। आपका जन्म १९२४ में शाहाबाद हरदोई में हुआ। प्रयाग विश्वविद्यालय से एम.ए. डी.फिल. की उपाधि प्राप्त की और १९५० से वहीं हिन्दी विभाग मे प्राध्यापक के पद पर नियुक्त हो गए। १९८६-८७ में यहीं पर विभागाध्यक्ष के पद से सेवा निवृत्त हुए।

कविता के अतिरिक्त आपका एक प्रमुख्य व्यसन है : चित्रकला। अनेक प्रदर्शनियों में आपके चित्र प्रदर्शित हुए हैं। इसके अतिरिक्त देश दर्शन तथा पुरातन मूर्तिमुद्रा संकलन में आपकी विशेष रुचि है। शिला चित्रों पर आपका शोध साहित्य "प्रागैतिहासिक भारतीय चित्रकला" नामक पुस्तक में संकलित है जिसे उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ तथा मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत और सम्मानित किया गया। १९९७ में इसका अंग्रज़ी में अनुवाद प्रकाशित किया गया।

आपको मैथिली शरण गुप्त सम्मान तथा श्री नारायण चतुर्वेदी सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। आपने पचास से अधिक पुस्तकों का लेखन-संपादन किया है।

 

अनुभूति में डॉ. जगदीश गुप्त की कविताएँ-

कवि वही
खिली सरसो
घाटी की चिन्ता
बात रात से
सांझ

गौरव ग्रंथ में-
प्रबंध काव्य- सांझ

संकलन में-
हिम नहीं यह - गाँव में अलाव में

 

 

 

 

 

 

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