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  दुख ने मुझको

दुख ने मुझको
जब जब तोड़ा,

मैंने
अपने टूटेपन को
कविता की ममता से जोड़ा,

जहाँ गिरा मैं,
कविताओं ने मुझे उठाया,
हम दोनों ने
वहाँ प्रात का सूर्य उगाया।

२२ दिसंबर २००८

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