अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

मदन वात्स्यायन

१९२२ में जन्मे मदन वात्सायायन अज्ञेय द्वारा संपादित तीसरे सप्तक के सात कवियों में से एक हैं। उनका असली नाम लक्ष्मीनिवास सिंह था। उन्होंने कैमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी और सिंदरी की विशाल यंत्रशाला में निरीक्षक के पद पर काम करते थे।

वे हिंदी के पहले ऐसे कवि माने जाते हैं जो व्यावसायिक क्षेत्र में इंजीनियर थे। मदन वात्स्यायन ने कविता कहानी दोनो ही लिखीं। उनके विषय में नीलाभ अपने ब्लाग पर लिखते हैं कि- पर एक समय था जब उनकी कविताओं की धूम रहती थी। विद्वानों का मानना है कि मदन वात्स्यायन की सृजन भंगिमा और विषयवस्तु एकदम अलग और अद्भुत है।

पेशे से इंजीनियर थे इसलिए हम कह सकते हैं कि उनकी कविताओं में मशीनों की आवाज सुनाई पड़ती है; लेकिन उनके भीतर एक विद्रोह व्यक्ति भी था जो औद्योगिक पूंजीवाद का सशक्त विरोधी और निष्करुण नौकरीशाही की बुर्जुवा मनोवृत्ति से एक सर्जक के रूप में टक्कर लेता दिखाई पड़ता है। २००८ में उनका देहांत हो गया।

 

अनुभूति में मदन वात्स्यायन की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
ऋतु संहार
दो बिहाग
नख-शिख
शुक्रतारा

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter