बदलूँ किसे मैं
बदलूँ किसे किसे
मैं, सोचा है विचारा है
फिर पास नहीं फटका जिस जिस को निहारा है
मैं आ नहीं सकूँगा
कुछ और काम भी हैं
यह मान लिया मैंने तुमने ही पुकारा है
बदलूँ किसे किसे मैं, सोचा है विचारा है
हड़ताल पर हैं
लहरें छाई है मुर्दनी-सी
कहते हैं चलन अपना सागर ने सुधारा है
बदलूँ किसे किसे मैं, सोचा है विचारा है
भूले न भूलता वह
उद्दाम भाव प्लावन
लाखों को डुबोया है दस बीस को तारा है
बदलूँ किसे किसे मैं, सोचा है विचारा है
बेलें बलात जकड़े
हैं चूस रही मुझको
उस रक्त ने फूलों का रंग और निखारा है
बदलूँ किसे किसे मैं, सोचा है विचारा है
कुछ मार वित्त की
है, कुछ मार चित्त की है
पर रिक्त चक्षुओं का निर्घात करारा है
बदलूँ किसे किसे मैं, सोचा है विचारा है
मेरा हरेक अक्षर
पीड़ा की कुण्डली है
हर शब्द व्यग्र धड़कन हर अर्थ इशारा है
बदलूँ किसे किसे मैं, सोचा है विचारा है |