| अनुभूति में 
                  पं. माखनलाल चतुर्वेदी 
                  की रचनाएँ
 
 
                  गीतों में-तुम मिले, प्राण में
 पहचान तुम्हारी
 मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक
 ये प्रकाश ने
 समय के समर्थ अश्व
 अन्य छंदों में-पुष्प की अभिलाषा
 वर्षा ने आज विदाई ली
 संकलन में-वर्षामंगल - 
                  कैसा छंद बना देती हैं
 ज्योतिपर्व- 
                  दीप से दीप जले
 
   |  | पुष्प की अभिलाषा चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूथा जाऊँ
 चाह नहीं प्रेमी माला में
 बिंध प्यारी को ललचाऊँ
 चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ
 चाह नहीं देवों के सिर पर
 चढूँ भाग्य पर इतराऊँ
 मुझे तोड़ लेना बनमाली उस पथ पर तुम देना फेंक
 मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
 जिस पथ जाएँ वीर अनेक
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