अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में रमानाथ अवस्थी की
रचनाएँ -

दोहों में -
जिसे कुछ नहीं चाहिए

कविताओं में -
कभी कभी
चंदन गंध
चुप रहिए
मन
रात की बात
जाना है दूर

संकलन में -
मेरा भारत- वह आग न जलने देना

 

रात की बात

रात की बात, रात को होगी

दिन भर की आपाधापी से
मन का दर्पण धुंधलाया है।
जिसने जितना दिया यहाँ पर
उसने उतना ही पाया है।

सबकुछ पा लेने की धुन में
सबके सब दिखते हैं रोगी।

सत्य एक होता है उसको
पाने वाले कम ही होते।
एक समय आता है जब हम
बिना चाह के सबकुछ खोते

ऐसे दुख में कभी न फँसता
केवल एक अकेला योगी।

वैसे तो दुख तरह तरह के
पर दौलत का दुख अजीब है
जो केवल पैसे पर मरता
वही यहाँ सबसे गरीब है

ऐसे दुख का अर्थ जानता
दुनिया में बस केवल भोगी।

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter