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अनुभूति में डॉ. अश्वघोष की रचनाएँ

अंजुमन में-
जो भी सपना
रफ़्ता रफ़्ता
रोज़मर्रा
सिलसिला ये दोस्ती का

छंदमुक्त में-
अभी तो लड़ना है
आज भी
शब्दों की किरचें
सड़क पर तारकोल
सदियों से भूखी औरत
सोच रहा है दिन

गीतों में—
जल नहीं है
तुमसे मिलके
लाजवंती धारणाएँ
संसद के गलियारे

संकलन में-
हिंदी की 100 सर्वश्रेष्ठ प्रेम कविताएँ- नए साल में

 

जल नहीं

अब नदी में जल
नहीं है

पत्थरों पर
लेटकर खामोश,
बादलों का पढ़ रही अफसोस
सत्य है अटकल नहीं है
अब नदी में जल
नहीं है

दूर, कितने
दूर हैं अब तट,
आती नहीं पदचाप की आहट
पक्षियों की भी, कोई
हलचल नहीं है
अब
नदी में
जल नहीं है

४ फ़रवरी २००८

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