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अनुभूति में डॉ. अश्वघोष की रचनाएँ

अंजुमन में-
जो भी सपना
रफ़्ता रफ़्ता
रोज़मर्रा
सिलसिला ये दोस्ती का

छंदमुक्त में-
अभी तो लड़ना है
आज भी
शब्दों की किरचें
सड़क पर तारकोल
सदियों से भूखी औरत
सोच रहा है दिन

गीतों में—
जल नहीं है
तुमसे मिलके
लाजवंती धारणाएँ
संसद के गलियारे

संकलन में-
हिंदी की 100 सर्वश्रेष्ठ प्रेम कविताएँ- नए साल में

 

रफ़्ता रफ़्ता

रफ़्ता-रफ़्ता द्वार से यों ही गुज़र जाती है रात
मैंने देखा झील पर जाकर बिखर जाती है रात।

मैं मिलूँगा कल सुबह इस रात से जाकर ज़रूर
जानता हूँ बन-सँवर कर कब किधर जाती है रात।

हर कदम पर तीरगी है, हर तरफ़ एक शोर है
हर सुबह एकाध रहबर कत्ल कर जाती है रात।

जैसे बिल्ली चुपके-चुपके सीढ़ियाँ उतरे कहीं
आसमाँ से ज़िंदगी में यों उतर जाती है रात।

एक चिड़िया कुछ दिनों से पूछती है 'अश्वघोष'
सिर्फ़ इक आहट को सुनके क्यों सिहर जाती है रात।

७ सितंबर २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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