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                   अनुभूति में
                  
					बनवारीलाल खामोश
					
					की रचनाएँ- 
                  
                  
                  गीतों में- 
					दिन 
					मौसम आना जी 
					रिश्ते 
					हम अपने काँटों के मारे 
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                  रिश्ते 
					 
					 
					उलझे-सुलझे धागे रिश्ते।  
					कुछ सोये  
					कुछ जागे रिश्ते।  
					 
					कुछ जन्मों से लेकर आये  
					कुछ राहों में हमने कमाये  
					कुछ चाहे पर जुड नहिं पाये  
					कुछ छूटे ना लाख छुडाये  
					निर्मोही- 
					निरभागे रिश्ते।  
					 
					परिचय के कन्धों पर लादे  
					अवसर की गठरी में बांधे  
					पल-पल रीते पल-पल साधे  
					आधे मन से पाये आधे  
					भीख सरीखे  
					माँगे रिश्ते।  
					 
					जिस ढब जीवन चलते जाते  
					रिश्ते अपने रंग दिखाते  
					दौर कभी ऐसे भी आते  
					गाते-रोते रोते-गाते  
					मजबूरी के  
					आगे रिश्ते। 
					२६ नवंबर २०१२  |