अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में गणेश गंभीर की रचनाएँ

नयी रचनाओं में-
अजब आदमी
धर्म पुराना
पेड़ पीपल का
समय इन दिनों

अंजुमन में-
चाँदनी में लेटना
ठंडी ठंडी फुहार
जीवन एक अँधेरा कमरा
ये पौधे पेड़ बनेंगे
लगाकर आग जंगल में

गीतों में-
इच्छा
नदी

 

समय इन दिनों

जब चाहे इतिहास बदल दे
जब चाहे भूगोल
समय इन दिनों
बोल रहा है काफी ऊँचे बोल।

मिट्टी जाँची गयी
अस्थियों का भी हुआ परीक्षण
शब्दों की छेनी-हथौड़िया
करती सच का तक्षण

झूठ रोज तैयार कर रहा है
कृतियाँ अनमोल।

कमरे जितने हैं अतीत के
भरे उजालों से
बन्द कर दिया गया उन्हें
तर्कों के तालों से

सोच रहा हूँ आगे बढ़कर
मैं दूँ इनको खोल।

आग-हवा-पानी
मिलकर यह दुनिया रचते हैं
इस धरती के आसमान से
गहरे रिश्ते हैं

डर बन कर फिर वर्तमान क्यों
रहा आँख में डोल।

३ अगस्त २०१५

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter