अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में माहेश्वर तिवारी की रचनाएँ-

गीतों में-
आओ हम धूप वृक्ष काटें
एक तुम्हारा होना
गहरे गहरे से पदचिह्न
छोड़ आए
झील
पर्वतों से दिन
बहुत दिनों बाद
मूँगिया हथेली
याद तुम्हारी
सारा दिन पढ़ते अख़बार

सोए हैं पेड़

संकलन में-
वसंती हवा-शाम रच गई
धूप के पांव-धूप की थकान
प्रेम कविताएं- तुम्हारा होना

 

बहुत दिनों के बाद

बहुत दिनों के बाद
आज फिर
कोयल बोली है

बहुत दिनों के बाद
हुआ फिर मन
कुछ गाने का
घंटों बैठ किसी से
हँसने का-बतियाने का

बहुत दिनों के बाद
स्वरों ने
पंखुरी खोली है

शहर हुआ तब्दील
अचानक
कल के गाँवों में
नर्म दूब की
छुअन जगी
फिर नंगे पाँवों में

मन में कोई
रचा गया
जैसे रंगोली है।

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter