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अनुभूति में नचिकेता की रचनाएँ -

नए गीत-
आकाश नीला
भय का लभेरा
यह अँधेरा
सर्द मौसम

गीतों में-
उमंगों भरा शीराज़ा
खुले नहीं दरवाज़े
जेहन मे
जो कुछ भी कहना है
तेरी हँसी
दोपहर
प्यार का रंग
बेहद अपनी
मृदु संगीत कला का
रात
शब्दों ने जो बात कही है
शाम
सपनों का नीड़
सुबह
हवा की गंध

छंद मुक्त में-
मेरा यूटोपिया

संकलन में-
वसंती हवा-फूले फूल पलाश

हिंदी की सौ सर्वश्रेष्ठ प्रेम कविताएँ-थके नयन में सुबह

` भय का लभेरा

कसे हर मस्तिष्क को
भय का लभेरा है
जो सुनाई दे रहा, वह
स्वर न मेरा है!

हिचकिचाहट से भरी
झरती उदासी है
कंठ में फँस गई
कड़वाहट धुँए की है

एक बटुरी धूप
खाँची भर अंधेरा है!

पर-कटे वनपाखियों की
फड़फड़ाहट-सा
क्षीण बेवा नाजनीं की
मुस्कुराहट-सा

भार के सिर पर चढ़ा
बेसुध उबेरा है!

ठूँठ हर अहसास की
लग रही शाखें हैं
या रतौंधी से
हुई कमज़ोर आँखें हैं

एक घर में
साँप-नेउर का बसेरा है!

४ जनवरी २०१०

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