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अनुभूति में पवन प्रताप सिंह पवन की रचनाएँ-

नयी रचनाओं में-
अंतर्मन का हर्ष
धूप सुहानी सी
नौ सौ चूहे मार
वेदनाओं से भरा मन
हाँ विरोध

मुक्तक में-
पाँच मुक्तक

गीतों में-
घर आ जा
तस्वीर गाँव की
पहाड़
बचपन
ये पगडंडियाँ

कहमुकरी में-
बीती यों ही जाए रैना

संकलनों में-
नयनन में नंदलाल- शब्द शब्द वंशी
पिता की तस्वीर- पिता जी
पात पीपल का- पथ निहारता रहता पीपल
फूल कनेर के- डाल डाल पर
मातृभाषा के प्रति- वतन की शान हिंदी
वर्षा मंगल- नीरद डोल रहे
वर्षा मंगल- वर्षा आई

नौ सौ चूहे मार

नौ सौ चूहे मार
बिलैया तप पर बैठी

लगा तिलक त्रिपुंण्ड लहू का
मंदिर में करते हैं पूजा
रामचरितमानस पढते हैं
मो सम कौन कुटिल-खल दूजा

बीता पूरा जन्म
बुद्धि में तनिक न पैठी

शब्द सुलगते निकलें मुँह से
श्रोता जी के कान झुलसते
सफर चलेगा जाने कब तक
अनजाने मंजिल के रस्ते

फिर हलाल ने आज
किसी की गर्दन मैठी

बातों में है विकट 'वायरस'
लाइलाज फैली बीमारी
कैसे हो उपचार किसी का
वैद्यराज ने हिम्मत हारी

सुनो समय की बात
कान की खोलो ठेंठी

१३ अप्रैल २०१५

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