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अनुभूति में राहुल शिवाय की रचनाएँ— 

गीतों में-
आग शहर में फैल रही है
झूल जाओ प्राण तज दो
तेरे आने से
दीवारों में बँटा हुआ अब
पतझड़ बीत गया है
बाबू जी का खत आया है
सिर्फ बाँचने लगे समस्या
हम अपनों के मारे
 

 

बाबू जी का खत आया है

बाबूजी का खत आया है
बेटा घर अब आओ

माँ खटिया पर लेटी बबुआ
केवल नाम तुम्हारा लेती
मेरे भी अब हाथ कांपते
मुश्किल में है लखना खेती
बटेदार से सौ झंझट हैं
आकर तुम सुलझाओ

दशरथ बाबू के बच्चों के
भाईचारे का था किस्सा
मगर आज लछमन-सा भाई
दाब रहा है अपना हिस्सा
नहीं अकेला बाप तुम्हारा
उनको यह दिखलाओ

बेटा माना शहर तुम्हारा
आज भरण-पोषण करता है
पर क्या कोई पितृ-डीह को
धन-दौलत अपनी तजता है
तीन-चार माहों में इक दिन
तो तुम रहकर जाओ

१ फरवरी २०१८

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