नेह-भीगे पत्र
                  फूल जो हमने किताबों में
                  सहेजे थे-
                  बहुत ही याद आए
                  नहीं तुम पास आए!
                  नर्म-कोमल
                  दूब पर हमने लिखे जो
                  नेह के अक्षर
                  ढूँढ़ने होंगे
                  वही फिर गंध अब भी
                  घाट के पत्थर
                  इंद्रधनुषी स्वप्न जो हमने
                  सहेजे थे-
                  बहुत ही याद आए
                  नहीं तुम पास आए!
                  दूधिया रातें
                  अकेले बैठ चुपचुप
                  गुनगुना उठना
                  याद कर जैसे
                  कहीं-कुछ मन ही मन में
                  खिलखिला उठना
                  नेह-भीगे पत्र जो हमने
                  सहेजे थे-
                  बहुत ही याद आए
                  नहीं तुम पास आए!
                  २४ अगस्त २००९