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अनुभूति में रमेश पंत की रचनाएँ— 

गीतों में-
आए हम शहर
गंधपूरित हैं हवाएँ
गूँगे प्रश्न हुए
नेह भीगे पत्र
स्वर्णपंखी साँझ
सूखी नदी-सा

  सूखी नदी-सा

पुल हमें
था जोड़ता जो
ढह गया!

बात थी
कुछ भी नहीं
थे स्वार्थ अंधे
व्यग्र थे उद्धत बहुत
हो उठे कंधे

एक सूनापन
है मन में,
गड़ गया!

थे गलत
कोई नहीं
पर, कौन सुनता
बर्छियाँ ताने सभी थे
कौन झुकता

मन कहीं
सूखी नदी-सा
हो गया!

२४ अगस्त २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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