अनुभूति में डॉ रामसनेही लाल
शर्मा 'यायावर' की रचनाएँ-
नया गीत-
सुनो अँधेरा
दो नए गीत
मेरी प्यास
गीत का रचाव
दोहों में-
विवेकानंद दोहे (विवेकानंद जयंती के अवसर
पर)
ग्रीष्म के दोहे
अंजुमन में-
कभी खुशी कभी दर्द
दिल में गुलशन आँख में सपना
मन घनश्याम हो गया
गीतों में-
केसर चंदन पानी के दिन
पूछेगी कल मेरी पोती
बाँटते जल चलें
मैं यायावर
लघु प्राण दीप
लड़ते-लड़ते मन हार गया
संकलन में- मातृभाषा के प्रति- हिंदी की जय जयकार करें
शुभ दीपावली-जीता दीपक
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मैं यायावर
मैं एक भटकता यायावर
अपने काँधों पर अपना घर
खाई खंदक राहों बाटों
जंगल पर्वत औ' घट घाटों
चलते–चलते पीछे छूटे
कितने युग कितने संवत्सर
यह यात्रा थी अंतस्तल में
ज्यों कस्तूरी मृग मरुथल में
अंतर में जलता लाक्षागृह
सिर पर सूरज का तेज़ प्रखर
अभिलाषाओं का नंदन वन
या गहन निराशा का कानन
बाहर–बाहर खजुराहो थे
थे गर्भगुहा में 'शिव शंकर'
1 नवंबर 2006
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