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अनुभूति में रावेंद्रकुमार रवि की रचनाएँ— 

नए गीतों में- 
गुनगुनी होने लगी है
चाहत का सिंगार

फ़िक्सिंग भी है बहुत जरूरी
रूप तुम्हारा
हँसी का टुकड़ा

बालगीतों में-
अपनी माँ का मुखड़ा

बढ़िया बहुत पसीना
मेरी शोभा प्यारी है
हम भी उड़ते

गीतों में-
ओ मेरे मनमीत
धूप की परछाइयाँ
नाम तुम्हारा
मेरा हृदय अलंकृत
मेरे मन महेश

कार्यशाला में-
कोहरे में भोर हुई

संकलन में-
फागुन- आए कैसे बसंत
होली है- होली आई रे

 

फिक्सिंग भी है बहुत ज़रूरी

सिक्का तो उछालना ही है
हैड मिले या टेल!
बरखा के पानी में हिलमिल
आओ, खेलें खेल!

हार न जाएँ, हम इस डर से
ऐसा मेल बनाएँगे!
हर हालत में प्रतिद्वंद्वी को
जो कर देगा फेल!
फिक्सिंग भी है बहुत ज़रूरी
माल मिले या जेल!

पाउच बना सजीला मनहर
माल भरेंगे घटिया!
छूट बढ़ाकर, दाम घटाकर
इसे करेंगे सेल!
गारंटी की बात न कोई
ग्राहक लेंगे झेल!

४ अक्तूबर २०१०

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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