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अनुभूति में डॉ. सुरेश की रचनाएँ

गीतों में-
कंधे कुली बोझ शहजादे
मन तो भीगे कपड़े सा
मैं घाट सा चुपचाप
समय से कटकर कहाँ जाएँ
सोने के दिन चाँदी के दिन
हम तो ठहरे यार बनजारे

 

मैं घाट सा चुपचाप

वो नदी
मैं घाट सा चुपचाप

काटती है
काल की धारा मुझे भी
चोट करती हर पहर
टूटना ही
बिखरना ही नियति मेरी
हो नहीं सकता लहर
सिर्फ थोड़ी
दूर तक अस्तित्व अपना
युगों का अभिशाप

दूरियाँ ले
पास से अक्सर गुजरती
सफर में होती फिकर घर की
बाँटते
अफवाह के परचे पड़ोसी
सांस की हर बूँद सागर की
उसे तो
मिलना उसी में डूबना खोना
वही तो अमिट मन की छाप


१६ जुलाई २०१२

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