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अनुभूति में डॉ. टी. महादेव राव की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
हादसा और मुंबई कुछ कविताएँ

गीतों में-
आशा गीत
क्यों नहीं ये अश्रु बहते
प्रीत के मधुमास हो गए
भामिनी तुम
वृष्टि का गीत

  प्रीत के मधुमास हो गए

अधर अमलतास नयन मृदहास हो गए
तुम्‍हारे सान्‍नि‍ध्‍य में क्षण अनचीन्‍हे इति‍हास हो गए

कनखि‍यों के संकेत लाती उषा नि‍शा को
चकि‍त करती श्‍याम अलकें नि‍हारती हर दि‍शा को
पलकों की लाज मुखड़ों की लाली आज
प्रीत के मधुमास हो गए

प्रेम की परि‍भाषा के शब्‍दों का रूप हो तुम
षोड़शी उन्‍माद लि‍ए यौवन की धूप हो तुम
हृदय की भावनायें अपरिचि‍त कामनायें
अज्ञात उपन्‍यास हो गए

चपलचि‍त्‍त यौवनोन्‍मत्‍त थि‍रक रही हो रागि‍नी-सी
बादलों के ओट से छुपती हो तुम चाँदनी-सी
स्‍मि‍त उपहार थोड़ा सा प्‍यार
जीवन वि‍श्‍वास हो गए

स्‍पर्श करूँ तो आभास हो अदृश्‍य होगी कल्‍पना-सी
अस्‍त-व्‍यस्‍त धरा पर तुम चमकोगी अल्‍पना-सी
दुखों के सागर अश्रुओं के गागर
केवल उपहास हो गए

१८ जनवरी २०१०

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