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अनुभूति में डॉ. टी. महादेव राव की रचनाएँ-

आशा गीत
क्यों नहीं ये अश्रु बहते
प्रीत के मधुमास हो गए
भामिनी तुम
वृष्टि का गीत

  भामि‍नी तुम

मुझ तृषि‍त की प्‍यास बुझाओं भामि‍नी तुम
मयंक मय तारकायें शीतल समीर सकुचाये
स्‍नग्‍ध सुंदरी रूप धरकर स्‍वर्ग में
वि‍चरण कराओ यामि‍नी तुम
वर्षा की बूँदि‍कायें
स्‍वरों में तुम्‍हें बुलाएँ
गर्जन का मल्‍हार गाकर
गगन में नर्तन दिखाओं दामि‍नी तुम

नयन मधुप्‍याले पि‍लाओ
रूप-सागर में डुबाओं
द्वि‍तीय रूप बनकर रति‍ का
क्षणों का इति‍हास रचाओ कामि‍नी तुम

केशों का सुवासि‍त श्‍याम वर्ण
मादक ग्रीवा अधर और कर्ण
मत करों गर्व मंद स्‍मि‍त पर
सन्‍नि‍कट पधारो गजगामि‍नी तुम

सृष्‍टि‍‍ का न करो उपहास
संग मि‍ल करें सुख का आभास
नि‍शि‍ के अंति‍म प्रहर पर
गुनगुनाऊँ राग छेडो रागि‍‍नी तुम

१८ जनवरी २०१०

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