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अनुभूति में योगेन्द्र प्रताप मौर्य की रचनाएँ

गीतों में-
कंकरीट का फर्श
कोहारों की नगरी
चुभते रहे बिछौने
दूर देश से बादल आए
मौन खड़ा क़ानून

 

मौन खड़ा कानून

घण्टाघर का बिगड़ा ट्रैफिक
घुस आए बलवाई

आदमखोर सियासत ने है
फिर षडयंत्र रचा
हड्डी के ढाँचे
ढाँचों से उतरी हुई त्वचा

हवा यहाँ कर रही मुखबिरी
बनके सबकी दाई

छूट गया हत्यारा खंजर
पीकर मनभर खून
अपनी आँखों पट्टी बाँधे
मौन खड़ा क़ानून

जख्मी पड़ा हुआ चौराहा
काली हुई दवाई

गगन चूमती महल अटारी
में अरझी है भोर
झुग्गी के माथे की सिकुड़न
कब से रही अगोर

सरकारी फरमान हो रहे
केवल हवा-हवाई

१ नवंबर २०१९

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