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  सात क्षणिकाएँ

१- घर

तिनके, धागे
कतरन, पर
नन्हीं चिड़िया ने
बना लिया
घर ।

२- रात-माँ

बड़ी परेशान थी
रात-माँ
सर्दी न खा जाएँ कहीं
शरारती बच्चे तारे,
कोहरे का कम्बल ओढ़ा कर
ऊँचे पलँग पर
बैठा दिया है।

३- हमजोली

कोहनी तक
चूड़ियों भरे हाथ लिये
वोगनविला
खिलखिलाती है।
पास बुलाती हैं,
खुरदरे गात
हेमन्त ठिठुरे पात
हम जोलियों की
खिल्ली उड़ाती है।

४- सिर्फ़ एक धुन

उदासी में डूबी सुबह
उदासी में भीगी शाम
उदासी का जाम
जिन्दगी की बाँसुरी पर
सिर्फ़ एक धुन
बजाती हैं।
ए...क तेरा नाम।

५- दो पल में

कहाँ-कहाँ हो आया मन
दो पल में
क्या-क्या पाया
खो आया मन
दो पल में…

६- इंतज़ार

इन्तज़ार
पलकों पर काँपते
आँसुओं की बन्दनवार
की
पुतली की रोशनी में
झिलमिलाते
दियों की कतार।


७- फाँस
बदल गया मौसम
फूल गए
अमलतास
करक गई
ज़ोर से
फिर कोई फाँस…

१४ जुलाई २०१४

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