अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में पवन चंदन की कविताएँ-

नई रचना
बापू की आत्मा

हास्य कविताओं में
अख़बार
फुर्सत नहीं है
फ़ोटोग्राफ़र
सरकारी बाबू

दोहों में-
पवन चंदन के दोहे

 

अख़बार

चंद पन्नों में सिमटा
विस्तृत संसार
दैनिक अख़बार
दुनिया को
देखने समझने का रास्ता-सा
सुबह का नाश्ता-सा

कभी कड़वा, कभी कसैला
कभी तीखा-कभी विषैला
हाँ साहब हमने इस
अख़बारी नाश्ते के
बहुत स्वाद चखे हैं
कुछ भूल गए
कुछ याद रखे हैं

आप कहेंगे
ना मिर्च ना मसाला
सफ़ेद काग़ज़ पर प्रिंट काला
मात्र ख़बरों का हवाला
फिर स्वाद कैसा

पर साहब
हम आपको समझा देंगे
लीजिए, सुनिए

मुखपृष्ठ खून से सना होगा
अमन चैन नदारद
उग्रवाद घना होगा
पूरे अख़बार का
ये आलम होगा
बेवक्त चटकी चूड़ियों का
कॉलम होगा
हत्याओं की खूँटियों पर
शीर्षक तने होंगे
सभी शब्द खून से सने होंगे

अपने वैधव्य का
स्वागत करती
नारियों की तस्वीरें
अनाथ हुए बच्चों की
सिसकियाँ और तक़दीरें
सुरक्षा व्यवस्था लड़खड़ाती हुई
हर मौत
उसकी खिल्लियाँ उड़ाती हुई
न उठ सकने वाले
कड़े कदम का आश्वासन
अपनी
कार्य कुशलता पर
हँसता कुशासन

आप कहेंगे ये तो ख़बरें हैं
स्वाद कहाँ हैं
अरे भाई
इन ख़बरों में ही
स्वाद भरा है
वरना
अख़बार में
क्या धरा है?

1 मार्च 2007

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter