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शैया तथा अन्य हँसिकाएँ

शैया

अपढ़ स्त्री ने फर्नीचर की दुकान पर
विष्णु लक्ष्मी जी की शैया का चित्र देखकर
कहा-ऐसी ही शैया दिखाओ,
यही है औरों से हटके।
शेषनाग की शैया हो तो मजाल है,
और कोई औरत पास आ फटके।

अन्याय

रोज लेट आने वाली खूबसूरत युवती को
अधिकारी ने बुलाया।
छुटिटयाँ काटनी पडेंगी, उसे जताया।
वह बोली पलट के
'सर! छुटिटयाँ काटनी थीं तो
अलग से बुला लेते।'

चींटी की चाल

पति बोले-
चींटी की सी चाल चल चलकर भी तुम्हारी सहेली
अपने लक्ष्य तक पहुँची, कमाल है।
भन्ना कर बोली ‘चींटी की चाल में भी
चींटी की चाल है।

वर्ग

उनके प्रवचन सुनकर भक्त ने पूछा
आप इससे पूर्व ज्यामितिके अध्यापक थे क्या?
क्यों की
आप वर्ग की बातें करते थे
और अब अपवर्ग की

त्रिभुज

रसिक की पत्नी को प्रेम के त्रिकोण का
पता चला तो इस त्रिभुज को भली-भाँति बाँच के
अपने अनुकूल कर लिया,
भुजाएँ खीच खाँच के

उपमाएँ

स्त्री की परिभाषा देते हुए वे बोले
पुरुष के बिना उसका नाम आधी-अधूरी
अर्धांगिनी आधी है

अपनी-अपनी श्रद्धा है/
शराबी से पूछा तो पीते-पीते कह उठा
मेरे लिए तो कभी वह पऊवा है कभी अद्धा है

वृक्ष

मथुरा में वृक्षारोपण करके आए/
पत्नी ने पूछा
अजी, 'पेड़ों’ का प्रसाद नहीं लाए//


निर्दोष

रामायण
पढ़ते हुए
वृ़द्ध पिता की,
कनपटियों पर
बन्दूक रखकर, वसीयत लिखवाई
वे अब भी आँखें
मूँदे गा रह थे-
समरथ को नहीं दोष गुसाई,

मरम्मत

विवाह के लिए कन्या देख कर आये तो,
नेता मित्र से बोले 'कन्या जब हँसी
उसके गाल में गड्ढ़े पड़ते थे।
जीवन की गाड़ी वहीं धँसी।
'गाड़ी गड्ढे में धँसी' बात अधूरी ही सुन पाये
आश्वस्त करते हुए बोले-
'हमारी चेष्टा है, चुनाव से पहले ही गड्ढे भर दिये जाएँ,
सड़कों की मरम्मत का काम पूरा हो जाए।

महँगाई-

कर्म करो फल की इच्छा व्यर्थ है
खरीद भी वही सकता है
जो समर्थ है।

२१ फरवरी २०११

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