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अनुभूति में पवन प्रताप सिंह पवन की रचनाएँ-

मुक्तक में-
पाँच मुक्तक

गीतों में-
घर आ जा
तस्वीर गाँव की
पहाड़
बचपन
ये पगडंडियाँ

कहमुकरी में-
बीती यों ही जाए रैना

संकलनों में-
नयनन में नंदलाल- शब्द शब्द वंशी
पिता की तस्वीर- पिता जी
पात पीपल का- पथ निहारता रहता पीपल
फूल कनेर के- डाल डाल पर
मातृभाषा के प्रति- वतन की शान हिंदी
वर्षा मंगल- नीरद डोल रहे
वर्षा मंगल- वर्षा आई

 

  बीती यों ही जाए रैना (कहमुकरियाँ)

१.
बीती जाये यूँ ही रैना,
इक पल मुझे न आये चैना,
बहुत जरूरी उसका होना,
क्या सखि साजन? ना सखि फैना!

२.
प्यार करूँ मैं उससे भारी,
उसकी तो लीला है न्यारी,
कमल नयन औ छवि है कारी,
क्या सखि साजन? नहीं मुरारी!

३.
उसे देख मन धरता धीर,
उसे देख हो जाय अधीर,
उसे देख खो जाती पीर,
क्या सखि साजन? ना तस्वीर!

४.
वो ही मेरे घर का मुखिया,
गर वो हो तो मैं हूँ सुखिया,
अगर न हो वो, मैं हूँ दुखिया,
क्या सखि साजन? ना सखि रुपिया!

५.
उसके बिना नहीं जिंदगानी,
ना तेरी ना मेरी कहानी,
दुनिया भी उस बिन वीरानी,
क्या सखि साजन? ना सखि पानी!

२८ अप्रैल २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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