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अनुभूति में ज्योतिर्मयी पंत की रचनाएँ-

हाइकु में-
सूरज सेठ

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नया साल- आया है नव वर्ष (कुंडलिया)
मेरा भारत- अनुपम अपना देश है (दोहे)
वर्षा मंगल- पहली बूँदें पाय (दोहे)
विजय पर्व- समस्याओं के दशानन (दोहे)
रघुनंदन वंदन- धरा पर लौटें रघुपति (कुंडलिया)

 

सूरज सेठ (हाइकु)


सूरज सेठ
धूप तिजोरी बंद
खोलेगा जेठ


सुस्त है घाम
खुले बर्फ गोदाम
ठण्ड बेदाम


रास्ते निराले
स्थिर हों पैरों तले
मिलें मंजिलें


उल्टा प्याला
रवि का रंग फैला
नभ निराला


धुंध ने रोके
धूप के सारे रास्ते
वृक्षों से झाँके


छत में धूप
घर की पंचायत
सजती खूब


नभ ने खोले
चाँदी भरे खजाने
बरसे ओले

२४ मार्च २०१४

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