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अनुभूति में आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' की रचनाएँ-

मुक्तक में-
राष्ट्र हमारा (छह मुक्तक)

गीतों में-
अपने सपने
ओढ़ कुहासे की चादर
कागा आया है
पूनम से आमंत्रण
मगरमचछ सरपंच
सूरज ने भेजी है

दोहों में-
फागुनी दोहे

  राष्ट्र हमारा (छह मुक्तक)

राष्ट्र जमीं का महज न टुकडा, यह आस्था-विश्वास हमारा
तीर्थ, धर्म, मंदिर, मस्जिद, मठ, गिरजा, देवालय, गुरुद्वारा
भाषा-भूषा-भेष भिन्न हैं, लेकिन ह्रदय भिन्न मत मानो-
कोटि-कोटि हम मात्र एक हैं, 'जय भारत माँ' सबका नारा

सत्ता और सियासत केवल साधन, साध्य न इनको मानो
जनहित-राष्ट्रोत्थान एक ही लक्ष्य अटल अपना पहचानो
संसद और विधानसभा में वाग्वीर जो पहुँच गए हैं-
ठुकरा उनको, जन-सेवक चुन, जनगण की जय निश्चय जानो

देव, खुदा, रब, गौड, ईश्वर, गुरु, ऋषि भारत की संतान
भारत जग में सबसे ज्यादा पावन, सबसे अधिक महान
मंत्र, ऋचाएँ, श्लोक, आरती, आयत, प्रेयर औ' अरदास
वन्दन-अर्चन करें राष्ट्र का, 'सलिल' सतत का र्गौरव गान

संसद मंदिर लोकतंत्र का, हुल्लड़ जनगण का उपहास
चला गोलियां मानव-द्रोही फैलाते नृशंस संत्रास
मूक रहे गर इन्हें न रोका, तो अपराधी हम होंगे-
'सलिल' सत्य यह, क्षमा न हमको देगा किंचित भी इतिहास

'बाजी लगा जान की, रोको आतंकी-हत्यारों को
असफल हुआ सुरक्षा बल, क्यों मारा ना गद्दारों को?'
कहते जो नेता, सेना में निज बेटे पहले भेजें-
देश बचाते जान गँवाकर, नमन सिपहसालारों को

११ मई २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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