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अनुभूति में अरुणा राय की रचनाएँ-

कविताओं में-
अपना खुदा होना
एक खालीपन
क्यों है यह प्यार
गिरी भी तो केवल मैं
तूने वह कविता कहाँ लिखी
मेरे सपनों का राजकुमार
रचना

 

अपना खुदा होना
गुलामों की
जुबान नही होती
सपने नही होते
इश्क तो दूर
जीने की
बात नही होती
मैं कैसे भूल जाऊँ
अपनी गुलामी
कि अपना खुदा होना
कभी भूलता नहीं तू...

१४ जुलाई २००८

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