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अनुभूति में रोहिणी कुमार भादानी 
की रचनाएँ —

छंदमुक्त में-
मुक्तक
मूल्य है निर्माण का
मैं या मेरा वजूद

  मूल्य है निर्माण का

शिल्पी अंगुलियों ने
खण्ड–खण्ड पाषाणों को जोड़
बनाया अखण्ड आलय
उसमें नहीं था विरोधाभास
आतप–वर्षा–सर्दी से बचाने वाला
एकमात्र आलय
जब उसे अपनी–अपनी संस्कृति के
साँचे में ढाला
प्रतीकों में पाला
राम–रहीम के नामों से पुकारा
अखण्ड–खण्डों में बदल गया
अलग–अलग आस्थाओं में ढल गया
नामों से हो गया ममत्व‚ अपनत्व
खण्डित हो गया समत्व
अपनत्व से जन्मा व्यामोह
व्यामोह से पनपा विद्रोह
विद्रोह से विध्वंस
नादान
मूल्य है निर्माण में
मूल्य विध्वंस में नहीं
मूल्य है जोड़ने में
मूल्य तोड़ने में नहीं
मूल्य है मुस्कान का
रुलाई में नहीं

२४ मार्च २००४

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