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अनुभूति में संजय सागर की रचनाएँ-

कविताओं में-
एक भोली-सी गाय
एक लड़की मुझे सताती है
कभी अलविदा न कहना
कल हो न हो
तेरी याद आती है
न जानूँ कि कौन हूँ मैं

 

कभी अलविदा न कहना

कभी याद आए तो, इक बार कहना
कभी सागर बनके इन आँखों से बहना
पर कभी किसी भी हाल में तुम
अलविदा न कहना।

तुम साथ रहो या जुदा रहो हर वक्त
मुझे याद करना, खुशी मिले या गम
मिले तुम्हें। पर कभी मुझसे
अलविदा न कहना

गुज़रे पल जो साथ हमारे, याद उन्हें तुम
करना, लाख करे दुनिया रुसवाई, दिल में
ही हमको रखना। कभी भी हो यार पर
कभी अलविदा न कहना।

बिजली चमके या तूफां आए, हौसला तुम
रखना गर टूट जाओ जो तुम खुद से ही
तो सिर्फ आँख बंद बस करना, पर कभी
यार तुम अलविदा न कहना।

पूछे गर मेरे आँसू तो, उनको कुछ मत कहना
सवाल करें जब आँसू ही तेरे, तो मुझे
बेवफ़ा कहना। कितना ही दूर रहूँ मैं पर
कभी अलविदा न कहना।

टूट जाए जो साँस तुम्हारी, आस मुझ पर
रखना, सूख जाए जो लव तुम्हारे तो
बस सागर कहना। मर कर भी यार
तुम कभी अलविदा न कहना।

9 दिसंबर 2007

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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