अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में संजय सागर की रचनाएँ-

कविताओं में-
एक भोली-सी गाय
एक लड़की मुझे सताती है
कभी अलविदा न कहना
कल हो न हो
तेरी याद आती है
न जानूँ कि कौन हूँ मैं

 

न जानूँ कि कौन हूँ मैं

मै न जानूँ कि कौन हूँ मैं
लोग कहते हैं सबसे जुदा हूँ मैं
मैंने तो प्यार सबसे किया
पर न जाने कितनों ने धोखा दिया।

चलते-चलते कितने ही अच्छे मिले,
जिनको बहुत प्यार दिया,
पर कुछ लोग समझ ना सके,
फिर भी मैंने सबसे प्यार किया।

दोस्तों की खुशी से ही खुशी है,
तेरे गम से हम दुखी है,
तुम हँसो तो खुश हो जाऊँगा।
तेरी आँखों में आँसू हो तो मनाऊँगा।

मेरे सपने बहुत बड़े है
पर अकेले है हम, अकेले है,
फिर भी चलता रहूँगा
मंज़िल को पाकर रहूँगा।

ये दुनिया बदल जाए कितनी भी,
पर मैं न बदलूँगा,
जो बदल गए वो दोस्त थे मेरे
पर कोई न पास है मेरे।

प्यार होता तो क्या बात होती
कोई न कोई तो होगी कहीं न कहीं
शायद तुम से अच्छी या
कोई नहीं इस दुनिया में तुम्हारे जैसी।

आसमान को देखा है मैंने, मुझे जाना वहाँ है
ज़मीन पर चलना नहीं, मुझे जाना वहाँ है,
पता है गिरकर टूट जाऊँगा, फिर उठने का विश्वास है
मैं अलग बनकर दिखाऊँगा।

पता नहीं ये रास्ते ले जाएँ कहाँ,
न जाने ख़त्म हो जाएँ, किस पल कहाँ,
फिर भी तुम सब के दिलों में ज़िंदा रहूँगा,
यादों में सब की, याद आता रहूँगा।

9 दिसंबर 2007

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter