प्रत्येक सोमवार को प्रकाशित
 
पत्र व्यवहार का पता

  १४. ५. २०१२

अंजुमन उपहार काव्य संगम गीत गौरव ग्राम गौरवग्रंथ दोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति
कवि हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर नवगीत की पाठशाला

दिन पके हुए

111111111111

पपीते की तरह हैं दिन
पके हुए

पहले की तरह नहीं
धूप नाचती,
मैले कपड़े-लत्ते
हवा काँचती,

नज़र नहीं आते भौंरे
थके हुए

अंबिया ने शुरू किया
अभी झाँकना,
पत्तों को है पसन्द
गप्प हाँकना,
ताल-तलैया पुरइन से
ढँके हुए

आँखों में अभी कहाँ
चढ़ी खुमारी,
मेड़ों पे यात्राएँ
फिर भी जारी,
अधरों पर गीत, गंध में
छके हुए

- नारायणलाल परमार

इस सप्ताह

गीतों में-

bullet

नारायणलाल परमार

अंजुमन में-

bullet

मदन मोहन अरविंद

छंदमुक्त में-

bullet

सत्यप्रकाश बाजपेयी

माहिया में-

bullet

डॉ. सरस्वती माथुर

पुनर्पाठ में-

bullet

डॉ. अ.प.जै. अब्दुलकलाम आजाद

पिछले सप्ताह
ई २०१२ के अंक में

गीतों में-
विजय कुमार सिंह

अंजुमन में-
लोकेश नशीने 'नदीश'

छंदमुक्त में-
वर्तिका नंदा

मुक्तक में-
डॉ. मीना अग्रवाल

पुनर्पाठ में-
अनूप सेठी

अन्य पुराने अंक

अंजुमनउपहार काव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंकसंकलनहाइकु
अभिव्यक्तिहास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतरनवगीत की पाठशाला

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है।

अपने विचार — पढ़ें  लिखें

Loading

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग : दीपिका जोशी

 
   
 
१ २ ३ ४ ५ ६ ७ ८ ९ ०