अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में देवेश देव की रचनाएँ -

अंजुमन में-
उनका हुस्ने शबाब
चिन्ताओं की लकीरों
नजर से नजर
मैंने माना
रंजो गम दिल में

 

नज़र से नज़र

नज़र से नज़र क्यों चुराने लगे हैं
मुझे इस तरह क्यों भुलान लगे हैं

ये उजडा हुआ आशियाँ फिर बसेगा
ख़याल अब मेरे मुस्कराने लगे हैं

ऩज़र से नज़र बात करने लगी है
मुहब्बत के अन्दाज भाने लगे हैं

मेरी चाहतों से वो होकर मुतासिर
मुझे अपने घर अब बुलाने लगे हैं

जो लिक्खी है उनके लिए देव हमने
उन्हें ही ग़ज़ल वो सुनाने लगे हैं

९ जून २०१४

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter