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अनुभूति में देवेश देव की रचनाएँ -

अंजुमन में-
उनका हुस्ने शबाब
चिन्ताओं की लकीरों
नजर से नजर
मैंने माना
रंजो गम दिल में

 

उनका हुस्ने शबाब

उनका हुस्ने शबाब देखेंगे
गोया खिलता गुलाब देखेंगे

क्या पता था कि हुस्न आने पर
उनके रुख़ पर नकाब देखेंगे

भूखे बच्चों को चाहिए रोटी
तब वो घर पर किताब देखेंगे

मेरा कश्मीर है मेरी जन्नत
उसको कैसै खराब देखेंगे

उसने मेरी खिलाफतें की हैं
फिर भी उसको गुलाब भेजेंगे

९ जून २०१४

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