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सबकी सुनना

अंजुमन में-
उससे मिल आए हो
सबका यही खयाल
काम करेगी उसकी धार
जुगनू बन या तारा बन
टूट जाने तलक

सच कहना और पत्थर खाना
सच का कद
सरहदें नहीं होतीं

  जुगनू बन या तारा बन

जूगनू बन या तारा बन
राहों का उजियारा बन

सुर ही तेरा जीवन है
बंसी बन या तारा बन

आवारा का मतलब जान
शौक़ से फिर आवारा बन

एक किसी का क्या बनना
दुनिया भर का प्यारा बन

सच इसां की दुनिया में
घूम रहा बेचारा बन

१० अक्तूबर २०११

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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