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अनुभूति में डॉ. नमन दत्त की रचनाएँ-

अंजुमन में-
इश्क आज़ार
और कितने ज़ख़्म
क्या बतलाएँ
खुद को ग़म
ज़रा सी बात

  और कितने ज़ख़्म

और कितने ज़ख़्म देगी ज़िंदगी
क्या मुझे जीने न देगी ज़िंदगी

फिर मोहब्बत चाक कर देगी जिगर
हादसा फिर इक बनेगी ज़िंदगी

ख़्वाब को परवाज़ देकर शाम से
सुबह को पर काट लेगी ज़िंदगी

थक गया हूँ, अब चला जाता नहीं
किस जगह जाकर थमेगी ज़िंदगी

ग़म मुक़द्दर बन गया "साबिर" मेरा
और क्या इनआम देगी ज़िंदगी

१८ जुलाई २०११

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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