अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में डॉ राकेश जोशी की रचनाएँ-

नयी रचनाओं में-
कठिन है
कैसे कह दूँ
चाहती है
डर लगता है

मैं सदियों से

अंजुमन में-
अंधकार से लड़ना है
कैसे कैसे लोग शहर में
आज फिर से

जैसे-जैसे बच्चे

 

कैसे कह दूँ

दुनिया में ईमान नहीं है
फिर भी तू हैरान नहीं है

तू जो बेईमान नहीं है
कोई बेईमान नहीं है

तुमको मैं पहचान रहा हूँ
तुमसे बस पहचान नहीं है

कैसे कह दूँ तुमसे मिलकर
धरती पर इंसान नहीं है

तेरा हक़ तुझको देते हैं
ये उनका अहसान नहीं है

उसके आगे क्यों रोऊँ मैं
वो कोई भगवान नहीं है

जिससे दीया बुझ जाएगा
ऐसा भी तूफ़ान नहीं है

९ मार्च २०१५

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter