अनुभूति में
संजू शब्दिता की रचनाएँ-
नई रचनाओं
में-
कैसी ये मुलाकात
जरा सी बात पर
हमारी बात
हम भी अखबारों में
हमें आदत है
अंजुमन में—
ये इश्क
सिर्फ कानों सुना नहीं जाता
वो मेरी रूह
हँसते मौसम
हुए रुखसत दिले-नादा
|
|
ये इश्क
ये इश्क सुन
तेरे हवाले ताज करते हैं
कि प्यार कल भी था तुझी से आज करते हैं
हुकूमतों का शोख़ रंग यह भी है यारों
कि हम जहाँ नहीं दिलों पे राज करते हैं
बहुत लगाव है हमें वतन की मिटटी से
इसी पे जान दें इसी पे नाज़ करते हैं
नरम दिली नहीं समझते देश के दुश्मन
चलो कि आज हम गरम मिज़ाज करते हैं
मेरे वतन के फौज़ियों सलाम है मेरा
तुम्हीं से मान है तुम्हीं पे नाज़ करते हैं
१६ दिसंबर २०१३
|